सौरव गांगुली

Introduction


“PRINCE OF KOLKATA” or “DADA” ये वो नाम थे जिनसे सौरव गांगुली की पहचान होती थी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और एक बहुत ही सफल कप्तान सौरव गांगुली भारत के महान खिलाड़ियों में से एक रह चुके हैं। आज हम आपको सौरव गांगुली के लाइफ, करियर, अचीवमेंट्स, आफ्टर रिटायरमेंट और क्रिकेट के बाहर जो वो थे उसके बारे में बताने वाले हैं।

Sourav Ganguly



Family and Education


सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में हुआ था उनके पिता चांदीदास गांगुली एक फेमस बिजनेसमैन थे। उनकी माताजी रूपा गांगुली एक हाउसवाइफ थी। गांगुली के एक बड़ा भाई भी हैं जिनका नाम है स्नेहाशीष और वह भी एक क्रिकेटर रह चुके हैं। सौरव गांगुली ने 1997 में डॉन आरोही से शादी की थी उनके एक बेटी भी है जिसका नाम है सना गांगुली। सौरव गांगुली की शुरआती पढ़ाई St. Xavier’s collegiate स्कूल से हुई। इसके बाद उनकी कामर्स ग्रेजुएशन St. Xavier’s कॉलेज से हुई है।




Initial Career


गांगुली ने अपने करियर की शुरुआत लेफ्ट हैंडेड बैट्समैन और स्लो लेफ्ट आर्म बॉलर के तौर पर की। गांगुली ने 1989 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया और उन्होंने बंगाल के लिए खेला। इसके 3 साल बाद 1992 में उन्हें भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया।



International career


सौरव गांगुली ने 1992 में भारत के लिए डेब्यू किया। बाएं हाथ का ये बल्लेबाज शुरू से ही पावर हिटर रहा और इन्होंने गेंदबाजी में भी अपने हाथ आजमाएं और कई बार क्रुशल टाइम पर टीम को विकेट निकाल कर दी।


1996 मैं सौरव गांगुली को खराब फॉर्म के चलते टीम से बाहर निकाल दिया गया। लेकिन जल्द ही उन्होंने उसी साल वापसी करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ नोट्स में अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी लगा दी और ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय बन गए क्योंकि इसी मैच में उन्होंने टेस्ट डेब्यु भी किया था।

इसके बाद ही सीरीज में उन्होंने एक और सेंचुरी लगाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।


साल 2000 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान घोषित कर दिया गया जहां उन्हें काफी सारे चैलेंज का सामना करने पड़ा।

उन्होंने भारतीय साइड को काफी जीत दिलवाई। सबसे यादगार जीत में से एक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में टेस्ट सीरीज थी जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की लगातार 16 जीत के रिकॉर्ड को तोड़ा था।

उनकी ही कप्तानी में भारतीय टीम साल 2003 में खेले गए आईसीसी वर्ल्ड कप में फाइनल में पहुंची थी जहां पर उसे ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा।



Career Records


बाएं हाथ का यह बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजों के लिए एक काल की तरह साबित होता था। कोई भी स्पिन गेंदबाज इनके सामने गेंदबाजी करने से कतराता था।


सौरव गांगुली ने 113 टेस्ट मैचों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए जिसमें से 16 सेंचुरी और 35 हाफ सेंचुरी शामिल थी ।इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 32 विकेट अपने नाम किए।


वनडे में उन्होंने 311 मैचों में 41.02 की औसत से 11363 रन बनाए वनडे में उन्होंने 22 सेंचुरी और 72 हाफ सेंचुरी लगाई साथ ही उन्होंने 100 विकेट हासिल भी किए।


वो आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स और पुणे वॉरियर्स इंडिया की तरफ से खेले थे। उन्होंने आईपीएल में कुल 59 मैच खेलें जिसमें उन्होंने 1349 रन बनाए। उनका हाईएस्ट स्कोर 91 रन नॉट आउट था। सौरव गांगुली की कप्तानी में केकेआर की टीम 2 बार प्ले अब तक पहुंचने में शामिल हुई।



Great captain


सौरव गांगुली एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक बहुत ही सक्सेसफुल कप्तान भी रह चुके हैं। उन्होंने भारत को कुल 21 टेस्ट मैचों में जीत दिलवाई जो उनके रिटायरमेंट तक किसी भी कप्तान द्वारा जितवाए गए मैचों में सर्वाधिक है।

उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 76 वनडे में भी जीत हासिल की, इसके अलावा साल 2000 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी और 2003 में आईसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल में भी जगह बनाई।


Awards and achievements


सौरव गांगुली को 1997 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा गया। साल 2002 में उन्हें इंडियन क्रिकेट क्रिकेटर ऑफ द ईयर के अवार्ड से सम्मानित किया गया। साल 2004 में उन्हें पद्मश्री जो कि भारत का सर्वश्रेष्ठ सिविलियन अवार्ड है, से नवाजा गया।



How was journey


सौरव गांगुली की भी जिंदगी आम क्रिकेटर्स की तरह उतार-चढ़ाव से भरपूर रही। उन्होंने अपना वनडे डेब्यू तो 1992 में कर लिया था लेकिन उन्हें टेस्ट मैच खेलने के लिए 4 साल तक का इंतजार करना पड़ा था।

इस दौरान उन्हें एक बार टीम से खराब फॉर्म के कारण निकाला भी गया था। हालांकि सौरव गांगुली के जीवन में चोट लगने के ज्यादा मौके नहीं आए लेकिन खराब फॉर्म के चलते उन्हें टीम से अंदर-बाहर होना पड़ा।



Retirement


1992 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सौरव गांगुली ने साल 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलविदा कह दिया।

हालांकि इसके बाद वह आईपीएल में खेलते रहे साल 2008 में नागपुर में खेला गया टेस्ट मैच उनका आखिरी टेस्ट मैच था। इस प्रकार उन्होंने कुल 16 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। इसके बाद उन्होंने साल 2012 में आईपीएल से भी संन्यास ले लिया।



Post retirement


रिटायरमेंट के बाद सौरव गांगुली एक क्रिकेट कमेंटेटर बन गए। उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में प्रेसिडेंट के तौर पर भी काम किया। साल 2019 में वह बीसीसीआई के प्रेसिडेंट बन गए। उन्होंने 2020 में कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान आईपीएल को कंडक्ट करवाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।




Conclusion


सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में से एक है और सबसे सफल कप्तान भी रह चुके हैं। गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को एक नए आयाम तक पहुंचाया है और लाखों करोड़ों युवाओं को इंस्पायर किया है। बीसीसीआई में रहते हुए उन्होंने बहुत से प्लेयर को आगे आकर खेलने और अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया।

 

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