युवराज सिंह ( The Sixer King )

Yuvraj singh

Introduction


महान भारतीय बल्लेबाज युवराज सिंह का जन्म 1981 में चंडीगढ़ में हुआ था। उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में ही पंजाब रणजी में डेब्यू कर लिया था। इसके बाद सन् 2000 में उन्हें भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला।

भारतीय टीम के लिए उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया 2003 वर्ल्ड कप में भी उनका योगदान अहम रहा और 2007 T20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप को जितवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2011 वर्ल्ड कप के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया युवराज सिंह बल्ले के साथ-साथ गेंदबाजी में भी कमाल थे।


Family and Education


युवराज सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1981 को हित पंजाबी फैमिली में हुआ। उनके पिता का नाम योगराज सिंह था । उनके पिता ने 1983 वर्ल्ड कप खेला था। युवराज के एक भाई भी है जिनका नाम है जोरावर सिंह। युवराज ने 2016 में हैजल कीच की से शादी की थी।


युवराज सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल चंडीगढ़ से की थी हालांकि क्रिकेट केबीजे शेड्यूल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के कारण उन्होंने हायर एजुकेशन प्राप्त नहीं की।


Domestic Career


युवराज सिंह को क्रिकेट के लिए शुरू से ही फैमिली का सपोर्ट रहा है, उनके पिता योगराज सिंह भी एक क्रिकेटर रह चुके थे। वो अपने बेटे को एक इंटरनेशनल लेवल पर बड़ा प्लेयर बनाना चाहते थे।

युवराज ने मात्र 16 साल की उम्र में 1997 में पंजाब के लिए रणजी ट्रॉफी में अपना डेब्यू किया उनका डेब्यु मैच हरियाणा के खिलाफ था। लगातार अच्छी परफॉर्मेंस और कंसिस्टेंसी के कारण उन्हें जल्द ही भारतीय टीम में ले लिया गया। युवराज सिंह एक बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में उभरते जा रहे थे।


International Career


युवराज सिंह ने सन 2000 में केन्या के खिलाफ नॉकआउट ट्रॉफी में अपना डेब्यू किया हालांकि डेब्यु मैच उनका इतना अच्छा नहीं रहा और वह केवल 1 रन ही बना सके। शुरुआती दिनों में युवराज सिंह की सबसे महत्वपूर्ण पारी चैंपियंस ट्रॉफी में आई, जहां पर उन्होंने 84 रन बनाए। वह मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था और उनके इस उनकी इस पारी की बदौलत भारतीय टीम को टूर्नामेंट जीतने में कामयाब रही।


इसके बाद युवराज एक से एक अच्छे परफॉर्मेंस देते चले गए। 2002 में इंग्लैंड में खेली गई नैटवेस्ट सीरीज के फाइनल मैच में युवराज सिंह के द्वारा 63 बॉल में खेली गई 69 रन की पारी बहुत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने मोहम्मद कैफ के साथ एक मैच जिताऊ पार्टनरशिप करते हुए 326 रन का पहाड़ जैसा लक्ष्य हासिल किया था। यह वही मैच था जिसमें सौरव गांगुली ने अपनी टीशर्ट लहराई थी।


लगातार उनके द्वारा किए जा रहे हैं अच्छे प्रदर्शन के बदौलत 2003 में उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। हालांकि क्रिकेट के इस मैराथन फॉर्मेट में वह अपनी छाप छोड़ने में उतने सफल नहीं हो पाए जितने सफल वह वनडे क्रिकेट में थे।

साल 2006 में उनके द्वारा पहली टेस्ट सेंचुरी आई जो कि पाकिस्तान के खिलाफ थी।
इसके बाद साल 2007 में उन्होंने भारतीय टीम को T20 वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई यह वही टूर्नामेंट था जिसमें युवराज ने स्टुअर्ट ब्रॉड को छह गेंदों में छह छक्के लगाकर खूब वाहवाही लूटी थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 70 से ज्यादा रन की पारी ने भारतीय टीम को फाइनल में पहुंचाया।

युवराज सिंह ने इस टूर्नामेंट में बल्ले से ही नहीं गेंद से भी अपने जौहर दिखाए और क्रुशल मोमेंट्स पर भारतीय टीम को विकेट निकाल कर दिए।


2007 के बाद उनका करियर परवान चढ़ता गया और साल 2011 में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप के दौरान उनको प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया। युवराज ने इस पूरे टूर्नामेंट में खेले गए 8 पारियों में 362 रन का अहम योगदान दिया साथ ही उन्होंने 15 विकेट भी झटके। फाइनल मैच में उनके द्वारा महेंद्र सिंह धोनी के साथ की गई साझेदारी की बदौलत भारतीय टीम यह वर्ल्ड कप जीत पाई।


Ups and downs


युवराज सिंह का करियर भी अप्स एंड डाउन्स से भरपूर रहा। साल 2000 में वनडे में डेब्यू करने के बाद साल 2003 तक उन्हें टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। टेस्ट मैच का पहला शतक 2006 में आया।

टेस्ट मैच करियर में उन्हें कई बार ड्रॉप कर दिया गया साल 2007 में उनके द्वारा लगाए गए छह छक्के उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इसके बाद उन्होंने 2011 वर्ल्ड कप भी भारत के टीम को जिताया था।


साल 2011 में खेले गए वर्ल्ड कप के दौरान ही उन्हें कैंसर हो गया था लेकिन उनका जज्बा इतना था कि वह फिर भी खेलते रहे और उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट अवार्ड से नवाजा गया।


उसके बाद युवराज सिंह ने फिर से वापसी की लेकिन चोर के चलते वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई चोट और खराब फॉर्म के चलते हुए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया लेकिन फिर 2017 में उन्होंने एक स्ट्रांग कमबैक किया इन सब चीजों के बाद 2019 में उन्होंने रिटायरमेंट घोषित कर दिया।


International Cricket Records


T20 फॉर्मेट में युवराज सिंह ने भारत के लिए कुल 58 मैच खेले जिसमें 1177 रन बनाए। उनका बैटिंग एवरेज 28.02 का था। उन्होंने इस फॉर्मेट में 8 हाफ सेंचुरी लगाई उनके द्वारा खेले गए 58 मुकाबलों में उन्होंने 28 विकेट भी अपने नाम किए।


युवराज सिंह ने भारत के लिए 304 वनडे मैच खेले जिसमें उन्होंने 36.55 की औसत से 8701 रन बनाए। युवराज सिंह ने 14 सेंचुरी और 52 हाफ सेंचुरी लगाई बैटिंग के अलावा बोलिंग में भी उन्होंने काफी अच्छा योगदान दिया वनडे मैचों में उन्होंने 111 विकेट लिए।


हालांकि टी20 और वनडे फॉर्मेट की तरह उन्हें टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई। उन्होंने अपने 19 साल के करियर में केवल 40 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 1900 रन बनाए उनका एवरेज लगभग 34 का था। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 3 सेंचरीज और 11 हाफ सेंचुरी लगाई। उन्होंने 9 विकेट भी हासिल किए।


Retirement


युवराज सिंह ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर साल 2000 में शुरू किया था 19 साल तक भारतीय टीम के लिए खेलने के बाद साल 2019 में युवराज सिंह ने संन्यास की घोषणा कर दी।


Charity and donations


उन्होंने 2012 में YouWeCan foundation की स्थापना की जोकि कैंसर की अवेयरनेस फैलाने के लिए था। इसके अलावा भी उन्होंने काफी सारे चैरिटेबल फंड्स के लिए फंडिंग की वह अंडरप्रिविलेज्ड बच्चों के लिए शिक्षा और खेलकूद में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए हमेशा से ही अग्रणी रहे हैं।



Conclusion


भारतीय क्रिकेट के एक महान ऑलराउंडर युवराज सिंह ने मात्र 19 साल की उम्र में ही अपना इंटरनेशनल करियर डेब्यू किया था। उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन की बदौलत भारत 2007 और 2011 का वर्ल्ड कप जीत पाया। 2011 वर्ल्ड कप में उन्हें कैंसर हो गया था हालांकि मैच के दौरान भी उन्हें उल्टियां होती थी, लेकिन उन्होंने जीत के जज्बे और देश के लिए खेलने के जज्बे को कायम रखते हुए पूरा टूर्नामेंट खेला।


बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने फिर से क्रिकेट में वापसी की। हालांकि उनका क्रिकेट कैरियर उसके बाद उतार-चढ़ाव भरा रहा। चोट और फार्म में ना होने के कारण उन्हें टीम से अंदर-बाहर किया जाने लगा। 2017 में उन्होंने फिर से वापसी की और 2019 में उन्होंने क्रिकेट से सन्यास ले लिया।

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