Introduction
भारतीय क्रिकेट के फेमस बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग जिनको नवाब ऑफ नजफगढ़ के नाम से भी जाना जाता है । इनका जन्म 20 अक्टूबर 1978 को दिल्ली के एक छोटे से कस्बे नजफगढ़ में हुआ।
शुरू से ही क्रिकेट में रुचि रखने वाले वीरेंद्र सहवाग 1 दिन भारत के सबसे बड़े विस्फोटक बल्लेबाज बन जाएंगे यह शायद किसी ने भी नहीं सोचा था। उनका खेलने का अंदाज आज भी यूनिक है। उन्होंने भारतीय और विश्व क्रिकेट को खेलने की एक नई परिभाषा दी है।
Family and education
इनके माता-पिता का नाम कृष्णा एंड कृष्ण था। भक्तजन में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था इनके तीन बहने और एक छोटा भाई है बचपन से ही इन्होंने क्रिकेट में गहरी रूचि दिखाई है सहवाग की फैमिली ने भी उनका पूरा सपोर्ट किया।
इनकी शुरुआती शिक्षा अरोड़ा विद्यालय दिल्ली से हुई हालांकि अपने बिजी शेड्यूल के चलते यह हाई स्कूल से ज्यादा नहीं पढ़ पाए। अभी साल की उम्र में सन 2004 में उन्होंने आरती इलाहाबाद से शादी कर ली। इनके दो बेटे हैं जिनका नाम है आर्यवीर और वेदांत।
Initial Career
सेवक को शुरू से ही क्रिकेट में रुचि थी उनके परिवार ने भी उनको काफी सपोर्ट किया सहवाग के अलावा उनकी दो बहने अंजू और मंजू इंटरनेशनल लेवल से खेली है, उनका कजिन नवीन रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं।
दिल्ली की अरोड़ा क्रिकेट एकेडमी में उन्होंने शुरुआत की। अमरनाथ शर्मा जो कि भारत के महान खिलाड़ी रहे हैं उन्होंने वीरेंद्र सहवाग को सिखाया है। 1997 में उन्हें दिल्ली के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए सिलेक्ट किया गया अपने डेब्यू मैच में ही शतक जड़कर उन्होंने अपना लोहा मनवा दिया था।
International career
रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद वीरेंद्र सहवाग को 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच खेलने का मौका मिला। हालांकि शुरुआती मैचों में उन्होंने खास प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए उन्होंने लय पकड़ ली और भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गए।
2001 में सहवाग को टेस्ट क्रिकेट में भी बतौर ओपनर खिलाया गया। सहवाग का डेब्यू साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुआ। उन्होंने अपने डेब्यू मैच में ही शतक बना दिया और ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए जिसने बतौर ओपनर शतक लगाया था।
सहवाग की यूनिक शैली और आक्रामक अंदाज में विश्व भर के गेंदबाजों में उनका खौफ पैदा कर दिया। ऐसा नहीं है कि उन्होंने सिर्फ वनडे क्रिकेट में ही आक्रामक रुख अपनाया उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी आक्रामक रुख अपनाया और टेस्ट क्रिकेट को नई परिभाषा दी।
Destructive Batsman
उन्होंने अपने शतक, दोहरे शतक और यहां तक कि तिहरे शतक भी छक्का लगाकर पूरे किए हैं जो विश्व क्रिकेट में एक मिसाल के तौर पर कायम हो चुका है। कि सहवाग की टेक्निक में उतार-चढ़ाव होते रहे लेकिन उनका एंड आई कोआर्डिनेशन बहुत जबरदस्त था जिसकी बदौलत वह आसानी से उसको कर लेते थे। टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से पहले बल्लेबाज बने जिन्होंने तिहरा शतक लगाया।
पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान में खेले गए मैच में उन्होंने तीहरा शतक जड़ा। उन्होंने सकलेन मुश्ताक की गेंद पर छक्का लगाकर अपना तिहरा शतक बनाया था इसके बाद से उन्हें मुल्तान का सुल्तान कहा जाने लगा।
सहवाग का 2007 T20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप भारत को जिताने में बहुत बड़ा योगदान दिया था। उनकी कुछ महत्वपूर्ण पारियों में 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में खेली गई 85 रन की पारी बहुत ज्यादा सराहनीय है।
2003 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के साथ हो रहे फाइनल में जब भारतीय टीम बिखरती नजर आई तब वीरेंद्र सहवाग ने एक छोर से पारी को संभाले रखा। उन्होंने 85 रन की आक्रामक पारी खेली और ऐसा लग रहा था मानो वह भारत को यह ट्रॉफी दिला सकते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश वह रन आउट हो गए और भारत का वह सपना चकनाचूर हो गया।
Ups and downs
बाकी क्रिकेटर्स की तरह सहवाग का करियर भी अप्स एंड डाउन से भरपूर रहा। 1999 में डेब्यू करने के बाद 2001 तक वह टीम में अपनी रेगुलर जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पाए 2002 में उन्होंने अपनी फर्स्ट सेंचुरी इंग्लैंड के खिलाफ बनाई उसके बाद से उन्हें रेगुलर टीम में जगह मिली 2004 में उन्होंने ट्रिपल सेंचुरी बनाई पाकिस्तान के खिलाफ थी
और 2008 में उन्होंने जो टेस्ट सेंचुरी बनाने वाले बल्लेबाज थे। 2007 में खराब फॉर्म के कारण उनको टीम से निकाल दिया गया था 2008 में उन्होंने फिर से वापसी की 2011 में भी पूरी टीम से निकाल दिया गया था लेकिन वर्ल्ड कप 2011 में उन्होंने बेहतरीन वापसी की और भारत के वर्ल्ड कप की जीत में अहम भूमिका निभाई।
Retirement
1999 में भारतीय टीम के लिए डेब्यू करने वाले वीरेंद्र सहवाग ने 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया इस प्रकार वो कुल 14 साल तक भारतीय क्रिकेट टीम में खेले। अपने 14 साल के करियर में वीरेंद्र सहवाग ने 104 टेस्ट, 251 वनडे और 19 T20 खेले। आक्रामक शैली वाले इस बल्लेबाज ने टेस्ट में 8586 रन, वनडे में 8273 रन और T20 में 394 रन बनाए।
उनके द्वारा खेले गए 104 टेस्ट मैचों में उन्होंने 23 सेंचुरी और 32 सेंचुरी बनाई। उनका हाईएस्ट स्कोर था 319 रन। उनकी बैटिंग एवरेस्ट ही 49.34
वनडे में भी उनका प्रदर्शन काफी शानदार रहा उन्होंने 251 वनडे में 35.05 की औसत से 8273 रन बनाए जिसमें से उनकी 15 सेंचुरी और 38 हाफ सेंचुरी शामिल थी। उनका हाईएस्ट स्कोर 219 रन था।
मीटिंग के अलावा सहवाग एक अच्छे बॉलर भी थे। उन्होंने टेस्ट में कुल 40 विकेट लिए, वनडे में 96 विकेट लिए और छह विकेट T20 में लिए।
टेस्ट में उनका बेस्ट बॉलिंग फिगर था 5/104
वनडे में उनका बेस्ट बॉलिंग फिगर था 4/6
Conclusion
तो इस प्रकार वीरेंद्र सहवाग जिन्होंने आक्रामक शैली की एक नई परिभाषा दी। 1999 में भारत के लिए डेब्यू किया और 2013 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। 14 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने भारतीय टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बल्ले से कमाल दिखाने के साथ-साथ उन्होंने बॉलिंग में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और कई बार जरूरी मौकों पर भारतीय टीम को विकेट निकाल कर दिए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वीरेंद्र सहवाग फिलहाल कॉमेंट्री और एडमिनिस्ट्रेशन संभाल रहे हैं। उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए स्कूल भी खोला हुआ है और एक क्रिकेट एकेडमी भी रन करते हैं।